NOT KNOWN DETAILS ABOUT HANUMAN JI KI AARTI

Not known Details About hanuman ji ki aarti

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तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥ आपन तेज सह्मारो आपै ।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥ सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।

एक देश की धरती अपने सुगंध व प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सद्भावना का संदेश भेजती है। धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलों की सुगंध को हवा से, पानी को बादलों के रूप में भेजती है। हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखों पर प्रेम-प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुँच जाती है। इस प्रकार एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

लिङ्गाष्टकम्

बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे ।

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।

जाके सर पे मुकुट विराज रहे री

तुम राधे बनो श्याम

hanuman aigiri nandini lyrics in hindi ji ki aarti: बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें श्री हनुमान जी की आरती



क्या पवनपुत्र हनुमान शिवजी के अवतार है? पवनपुत्र हनुमान किसके अवतार है?

नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।

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